UGC Net New Rule के अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति के नियमों में बड़े बदलाव करते हुए यूजीसी रेग्यूलेशन 2025 का मसौदा जारी किया है। इस मसौदे के तहत अब विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए स्नातक (यूजी), स्नातकोत्तर (पीजी), और पीएचडी एक ही विषय में होना अनिवार्य नहीं है। यह लचीलापन शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को आसान बनाने और बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाया गया है।
महत्वपूर्ण बदलाव
- यूजीसी नेट या पीएचडी के आधार पर भर्ती
अब उम्मीदवार अपने मनपसंद विषय में यूजीसी नेट या पीएचडी करके शिक्षक बनने के योग्य होंगे, भले ही उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री अलग-अलग विषयों में हो। इससे बहु-विषयक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी। - एपीआई (अकादमिक प्रदर्शन संकेतक) हटाया गया
नए नियमों के तहत अकादमिक प्रदर्शन संकेतक (एपीआई) को हटाकर समग्र मूल्यांकन की प्रक्रिया अपनाई गई है। अब शिक्षकों का मूल्यांकन निम्नलिखित क्षेत्रों में योगदान के आधार पर होगा:- नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास
- उद्यमशीलता और सामुदायिक जुड़ाव
- डिजिटल शिक्षण संसाधन और पुस्तक लेखन
- सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
- प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नई श्रेणी
उच्च शिक्षण संस्थानों में 10% सीटों पर “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के तहत इंडस्ट्री या क्षेत्र के विशेषज्ञों को तीन साल के लिए नियुक्त किया जाएगा। इससे व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। - खेल प्रतिभाओं के लिए अवसर
पहली बार यूजीसी ने शिक्षक भर्ती नियमों में पैरालंपिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों और अवॉर्डी को शामिल किया है। यह कदम खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है। - भारतीय भाषाओं पर जोर
नई नीति में पुस्तकों, अध्यायों और शैक्षणिक प्रकाशनों में भारतीय भाषाओं के उपयोग को प्राथमिकता दी गई है। इससे भारतीय भाषाओं को उच्च शिक्षा में अधिक महत्व मिलेगा। - विशेष भर्तियां
योग, संगीत, नृत्य, दृश्य कला, मूर्तिकला और नाटक जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए विशेष भर्ती प्रक्रियाओं की शुरुआत की गई है।
पदोन्नति में बदलाव
नए नियमों के तहत शिक्षकों की पदोन्नति के लिए लचीले मानदंड अपनाए गए हैं। अब नवाचार, सामुदायिक सेवाओं और तकनीकी योगदान जैसे क्षेत्रों को अधिक महत्व दिया जाएगा।
लाभ और प्रभाव
- बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा: अलग-अलग विषयों में डिग्री रखने वाले उम्मीदवारों के लिए यह एक बड़ा अवसर है।
- व्यावहारिक शिक्षा का विकास: प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के माध्यम से छात्र व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
- सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधता: भारतीय भाषाओं और कला क्षेत्रों में विशेष भर्तियां स्थानीय संस्कृति और क्षेत्रीय विविधता को मजबूत करेंगी।
निष्कर्ष
UGC Net New Rule भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव है। यह लचीलापन और समावेशिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ बहु-विषयक और व्यावहारिक शिक्षा की नींव रखता है। शिक्षक बनने की प्रक्रिया में बदलाव से न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि उच्च शिक्षा संस्थानों में नई ऊर्जा और दृष्टिकोण भी आएगा।

हेलो दोस्त में जितेंद्र सिन्हा में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले कुम्हारी से हु में पिछले पांच सालों से सरकारी योजना और सरकारी जॉब से रिलेटेड न्यूज़ देता हूं। इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आप विभिन्न सरकारी और प्राइवेट नौकरियों के बारे में जान सकेंगे और सही समय पर अपनी तैयारी शुरू कर सकेंगे।
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